Key Hightlights

शारीरिक, मानसिक के साथ सामाजिक स्वास्थ्य भी सुधारेगी "एकीकृत चिकित्सा"
कोविड महामारी ने हमें यह सिखाया कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक स्वास्थ्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। एकीकृत (इंटेग्रेटिव) चिकित्सा के माध्यम से हम इन सभी मानकों पर समाज का समग्र विकास कर सकते हैं। इस विचार को संभागायुक्त दीपक सिंह ने श्री अरबिंदो विश्वविद्यालय में आयोजित एकीकृत चिकित्सा के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि मोटापा और कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए आधुनिक, प्राचीन और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के समन्वय से मरीजों का इलाज करना आवश्यक है। इससे मरीजों के जल्दी रिकवर होने के चांसेस बढ़ जाएंगे। उन्होंने मौखिक परंपराओं के तहत मिली चिकित्सा संबंधी जानकारियों का डाक्यूमेंटेशन और एथेंटिकेशन की भी आवश्यकता पर जोर दिया।
विवि के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि हर्बल मेडिसिंस के सफल उपचार के साक्ष्य एकत्र कर उन्हें विश्व स्तर की शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मरीज लाभान्वित हो सकेंगे। डॉ. पी.सी. दुबे ने इस पहल को इंसानों के साथ-साथ जंगलों, जानवरों, जमीनों, जलस्त्रोतों और प्रकृति के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी बताया।
पर्यावरण की सी.पी.आर. है एकीकृत चिकित्सा प्रणाली
विवि के प्रो-चांसलर डॉ. मोहित भंडारी ने एकीकृत चिकित्सा की महत्ता पर प्रकाश डाला और डॉ. महक भंडारी ने श्री अरबिंदो समूह की विकास यात्रा की जानकारी दी। प्रो. संजय व्यास ने कहा कि जिस तरह आपातकाल में हम किसी व्यक्ति को गोल्डन टाइम में सी.पी.आर. देकर उसकी जान बचा सकते हैं, उसी तरह एकीकृत चिकित्सा के माध्यम से समूचे पर्यावरण को भी सी.पी.आर. देने का वक्त आ गया है। इसके लिए हमें जानकारियों को कलेक्ट, प्रिजर्व और रिस्टोर (सी.पी.आर.) करना होगा।
इस अवसर पर कुलपति डॉ. ज्योति बिंदल, डॉ. जयश्री तापड़िया और डॉ. आनंद मिश्रा ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में इंदौर के अलावा धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा और उज्जैन आदि के परंपरागत वैद्यों, जड़ी-बूटियों के जानकारों और वन विभाग के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। चुनिंदा आदिवासियों को श्री अरबिंदो अस्पताल द्वारा निःशुल्क इलाज के लिए हेल्थ कार्ड भी वितरित किए गए।
Some glimpses from the event-












